Qita Poetry (page 31)
बस कि फ़ा'आलुम्मा-युरीद है आज
ग़ालिब
बारिशें नहीं होतीं
साग़र ख़य्यामी
बरस के छट गए बादल हवाएँ गाती हैं
अहमद नदीम क़ासमी
बाक़ी है कोई साथ तो बस एक उसी का
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ब-क़ौल-ए-सोज़ 'जुरअत' क्या कहें हम फ़िक्र को अपनी
जुरअत क़लंदर बख़्श
बाप की नसीहत
इनाम-उल-हक़ जावेद
बंगला और बीवी
ज़ियाउल हक़ क़ासमी
बाँध कर कफ़न सर से यूँ खड़ा हूँ मक़्तल में
परवेज़ शाहिदी
बलाग़त का अलमिया
अहमद नदीम क़ासमी
बख़िया तो उस से एक भी सीधा नहीं लगा
अनवर मसूद
बाजरे की फ़स्ल से चिड़ियाँ उड़ाने के लिए
अहमद नदीम क़ासमी
बैठी सखियों के घेरे में दुल्हन
साबिर दत्त
बैठे बैठे उन की महफ़िल याद आ जाती है जब
एहसान दानिश
बैल क्या चीज़ है गधा क्या है
आसिम पीरज़ादा
बहुत से इशरत-ए-नौ-रोज़-ओ-ईद में हैं मगन
अख़्तर अंसारी
बहुत मुख़्तसर सा तआ'रुफ़ है मेरा
प्रेम वारबर्टनी
बहर-ए-आलाम बे-किनारा है
अब्दुल हमीद अदम
बाग़ था फूल थे मोहब्बत थी
फ़य्याज़ अस्वद
बद-नामी के ब'अद
सय्यद ज़मीर जाफ़री
बदला न ब'अद-ए-मौत भी काँटों-भरा नसीब
साग़र ख़य्यामी
बड़ी शफ़ीक़, बड़ी ग़म-शनास लगती हैं
कश्मीरी लाल ज़ाकिर
बद-दुआ
पॉपुलर मेरठी
बदन और ज़ेहन मिल बैठे हैं फिर से
साइमा असमा
बदल के भेस फिर आते हैं हर ज़माने में
अल्लामा इक़बाल
बड़ा मुंसिफ़ है अमरीका उसे अल्लाह ख़ुश रक्खे
क़तील शिफ़ाई
बातें करने में फूल झड़ते हैं
अख़्तर अंसारी
बात कहने का जो ढब हो तो हज़ारों बातें
अहमद नदीम क़ासमी
बात भी जिस से अब नहीं मुमकिन
हफ़ीज़ जालंधरी
और कुछ दैर अभी ठहर जाओ
महेश चंद्र नक़्श
और अरमान इक निकल जाता
अब्दुल हमीद अदम