Qita Poetry (page 30)
चश्म को ए'तिबार की ज़हमत
साग़र सिद्दीक़ी
चाँदनी, तारे, अब्र के टुकड़े
अख़्तर अंसारी
चाँदनी से धुली हुई रातें
नरेश कुमार शाद
चाँदनी रात की ख़मोशी में
नरेश कुमार शाद
चाँद-मारी
अमीरुल इस्लाम हाशमी
चाँद पर पहुँचा कोई झाँका कोई मिर्रीख़ में
आसिम पीरज़ादा
चंद लम्हों को तेरे आने से
जाँ निसार अख़्तर
चाँद की पिघली हुई चाँदी में
जौन एलिया
चमन में रख़्त-ए-गुल शबनम से तर है
अल्लामा इक़बाल
चलते चलते तमाम रस्तों से
अब्दुल हमीद अदम
चल रहे हैं क़तार में सूरज
अफ़ज़ल इलाहाबादी
चारासाज़ों की चारा-साज़ी से
जौन एलिया
चार गंजे एक दावत में जमा जब हो गए
अज्ञात
चालाक
पॉपुलर मेरठी
बुताँ के इश्क़ ने बे-इख़्तियार कर डाला
मीर तक़ी मीर
बुत कहते हैं मर जा मर जा
हफ़ीज़ जालंधरी
बुझ गया तेरी मोहब्बत का शरारा तो क्या
अली सरदार जाफ़री
बूढ़े माँ बाप बिलकते हुए घर को पलटे
अहमद नदीम क़ासमी
बोला दुकान-दार कि क्या चाहिए तुम्हें
साग़र ख़य्यामी
बोझ इतना भर गई थी रूह-ए-सुबुक निकल के
क़मर जलालवी
बिन-बुलाया मेहमान
ज़ियाउल हक़ क़ासमी
बिजली
खालिद इरफ़ान
भूरे भूरे बादलों से आसमाँ लबरेज़ है
एहसान दानिश
भूले से हो गई है अगरचे ये उस से बात
अनवर मसूद
भारी पैर
ज़ियाउल हक़ क़ासमी
बेटी
पॉपुलर मेरठी
बे-क़रारी में भी अक्सर दर्द-मंदान-ए-जुनूँ
साग़र सिद्दीक़ी
बे-पर्दा नज़र आईं जो कल चंद बीबियाँ
अकबर इलाहाबादी
बेगम
इनाम-उल-हक़ जावेद
बस्ती की ये ऊँची हवेली दर्द की चादर में लिपटी
नज़र सिद्दीक़ी