Qita Poetry (page 28)
दो बीवियाँ
खालिद इरफ़ान
दियार-ए-सब्ज़ा ओ गुल से निकल कर
हबीब जालिब
दिया नींद ने ऐसा आँखों को धोका
आसिम पीरज़ादा
दीवार-ए-शब और अक्स-ए-रुख़-ए-यार सामने
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
दीवार रंग
सय्यद ज़मीर जाफ़री
दीवानों को अहल-ए-ख़िरद ने चौराहे पर सूली दी है
आमिर उस्मानी
डिश-ऐन्टेना
सरफ़राज़ शाहिद
दिन ये बदलेगा रात बदलेगी
महेश चंद्र नक़्श
दिन की सूरत नज़र आते ही मिरी रात हुई
हफ़ीज़ जालंधरी
दिन गुज़रता है उन की यादों में
साबिर दत्त
दिल-जलों को सताने आए हैं
कश्मीरी लाल ज़ाकिर
दिल-ए-वीराँ को अब की बार शायद
जावेद कमाल रामपुरी
दिल-ए-हसरत-ज़दा में एक शोला सा भड़कता है
अख़्तर अंसारी
दिल टुक उधर न आया ईधर से कुछ न पाया
मीर तक़ी मीर
दिल तो रोए मगर मैं गाए जाऊँ
अख़्तर अंसारी
दिल से मजबूर आप से बेज़ार
जावेद कमाल रामपुरी
दिल से हो कर दिल तलक जाया करो
सय्यदा अरशिया हक़
दिल रहीन-ए-ग़म-ए-जहाँ है आज
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
दिल पे लगते हैं सैकड़ों नश्तर
महेश चंद्र नक़्श
दिल पे अपने चोट खा कर रो दिए
आसिम पीरज़ादा
दिल में न जाने कितनी उमीदें लिए हुए
महेश चंद्र नक़्श
दिल में ले कर हम आस फिरते रहे
साबिर दत्त
दिल को महव-ए-ग़म-ए-दिलदार किए बैठे हैं
असरार-उल-हक़ मजाज़
दिल को बर्बाद किए जाती है
अख़्तर अंसारी
दिल की महफ़िल को सजाया है बड़ी देर के ब'अद
दिलावर सिंह
दिल की हस्ती बिखर गई होती
अब्दुल हमीद अदम
दिल की हर आरज़ू है ख़्वाबीदा
सूफ़ी तबस्सुम
दिल की धड़कन के पयामात से डर जाते हैं
साबिर दत्त
दिखा न ख़्वाब हसीं ऐ नसीब रहने दे
अफ़ज़ल इलाहाबादी
दीदा-ए-तर पे वहाँ कौन नज़र करता है
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़