Qita Poetry (page 18)
ख़ूँ-भरे जाम उंडेलता हूँ मैं
अख़्तर अंसारी
खुलती हैं वो मस्त आँखें हंगाम-ए-सहर ऐसे
नज़ीर बनारसी
ख़ू-ए-लैल-ओ-नहार देखी है
अब्दुल हमीद अदम
ख़ुदी की ख़ल्वतों में गुम रहा मैं
अल्लामा इक़बाल
ख़ुदी की जल्वतों में मुस्तफ़ाई
अल्लामा इक़बाल
ख़ुदी के ज़ोर से दुनिया पे छा जा
अल्लामा इक़बाल
ख़ुदी बुलंद थी उस ख़ूँ-गिरफ़्ता चीनी की
अल्लामा इक़बाल
ख़ुदाई एहतिमाम-ए-ख़ुश्क-ओ-तर है
अल्लामा इक़बाल
ख़ुदा-बंदा
सय्यद ज़मीर जाफ़री
ख़ुदा तुझे किसी तूफ़ाँ से आश्ना कर दे
अल्लामा इक़बाल
ख़ुद को बे-कल किया औरों को सताए रक्खा
साइमा असमा
ख़ूब है ख़ाक से बुज़ुर्गों की
मीर तक़ी मीर
खो के ख़ुद उन को पा के पीता हूँ
गणेश बिहारी तर्ज़
ख़िरद वाक़िफ़ नहीं है नेक-ओ-बद से
अल्लामा इक़बाल
ख़िरद से राह-रौ रौशन-बसर है
अल्लामा इक़बाल
खिले जो एक दरीचे में आज हुस्न के फूल
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ख़त्म कब हो ये कुछ नहीं मालूम
वसीम बरेलवी
ख़राबी
सय्यद ज़मीर जाफ़री
ख़राबात-ए-मंज़िल गह-ए-कहकशाँ है
अब्दुल हमीद अदम
ख़ानक़ाहों में किसी का बोल अब बाला नहीं
रज़ा बिजनौरी
ख़मोश झील पे क्यूँ डोलने लगा बजरा
अहमद नदीम क़ासमी
ख़लाई दौर है तकरार का ज़माना है
अनवर शऊर
खड़खड़ाती डोल वो धम से कुएँ में गिर गई
अहमद नदीम क़ासमी
ख़ादिम-ए-उर्दू-ज़बाँ हूँ शाएरी मकतब मिरा
गणेश बिहारी तर्ज़
खड़ा है गेट पे शाएर मुशाएरे के ब'अद
अतहर शाह ख़ान जैदी
काविश-ए-सुब्ह-ओ-शाम बाक़ी है
कश्मीरी लाल ज़ाकिर
कौन सूद-ओ-ज़ियाँ की दुनिया में
जौन एलिया
कौन जाने कि ख़यालात हैं दिल में कैसे
नवा लखनवी
कौन इस देस में देगा हमें इंसाफ़ की भीक
क़तील शिफ़ाई
कौन है जिस ने मय नहीं चक्खी
अब्दुल हमीद अदम