Qita Poetry (page 16)
मैं अपने ख़्वाब में मरने लगा हूँ
ज़ीशान हैदर
मय-ख़्वार हूँ मैं वुसअत-ए-मय-ख़ाना दिल में है
नवा लखनवी
मय-ख़ानों की रौनक़ हैं कभी ख़ानक़हों की
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
मय-ख़ाना-ब-दोश हैं घटाएँ साक़ी
अख़्तर शीरानी
मय-कशी सुब्ह-ओ-शाम करता हूँ
मीर तक़ी मीर
मय-कशी का शबाब बाक़ी है
गणेश बिहारी तर्ज़
मै-कदा छोड़ के मैं तेरी तरफ़ आया हूँ
असरार-उल-हक़ मजाज़
माह-ओ-अंजुम के सर्द होंटों पर
अब्दुल हमीद अदम
महँगाई के ज़माने में बच्चों की रेल-पेल
साग़र ख़य्यामी
मह-जबीनो पास आओ और ये बतलाओ हमें
साग़र ख़य्यामी
माहिर-ए-अमराज़-ए-चश्म
अनवर मसूद
मदफ़न-ए-ग़रीबाँ है आओ फ़ातिहा पढ़ लें
हफ़ीज़ जालंधरी
लुत्फ़-ए-नज़्ज़रा है ए दोस्त इसी के दम से
अनवर मसूद
लोग तो रहते हैं हर लम्हा टोह में ऐसी बातों की
अनवर मसूद
लिबास-ए-नौ में रक्खी है रिआयत ऐसी टेलर ने
अमीरुल इस्लाम हाशमी
लीडर
पॉपुलर मेरठी
ले के दिल दर्द पाएदार दिया
नरेश कुमार शाद
लाटरी
ज़ियाउल हक़ क़ासमी
लम्हा लम्हा मौत को भी ज़िंदगी समझा हूँ मैं
गणेश बिहारी तर्ज़
लाख काटो रगें सदाक़त की
नरेश कुमार शाद
लाख हों हम में प्यार की बातें
जावेद अख़्तर
लहू फ़क़ीरों का सोज़-ए-यक़ीं से था जब गर्म
सूफ़ी तबस्सुम
लफ़्ज़ चुनता हूँ तो मफ़्हूम बदल जाता है
क़तील शिफ़ाई
लड़कियाँ चुनती हैं गेहूँ की सुनहरी बालियाँ
अहमद नदीम क़ासमी
लब हमारे ख़मोश रहते हैं
अफ़ज़ल इलाहाबादी
क्यूँ हुए क़त्ल हम पर ये इल्ज़ाम है क़त्ल जिस ने किया है वही मुद्दई
आमिर उस्मानी
क्यूँ हमारे ख़ून को पानी किए देते हैं आप
साग़र ख़य्यामी
क्या ज़िद है कि बरसात भी हो और नहीं भी हो
गणेश बिहारी तर्ज़
क्या वो हरजाई मुझे ढूँडे मिलेगा जो कभी
बेढब बदायूनी
क्या ख़बर आज तेरी आँखों में
मुस्तफ़ा ज़ैदी