Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_e5d64010460a36e5baae958ff1f1080e, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
जाऊँ मैं उस निगार पर क़ुर्बान - क़ाज़ी महमूद बेहरी कविता - Darsaal

जाऊँ मैं उस निगार पर क़ुर्बान

जाऊँ मैं उस निगार पर क़ुर्बान

उस सलोने सिंगार पर क़ुर्बान

जिन दिलाँ के दलाँ कूँ दिल भंजन

सर मिरा उस सवार पर क़ुर्बान

जिन धतूरा दे दिल चुराई मिरा

उस दग़ाबाज़ नार पर क़ुर्बान

जग मुंजे बोलता कि तू ज्ञानी

की हुआ उस गंवार पर क़ुर्बान

मुंझ से आशिक़ कूँ बुल-हवस कहते

इश्क़ के कारोबार पर क़ुर्बान

दिल-बराँ की तो दोस्ती मा'लूम

आशिक़ाँ के क़रार पर क़ुर्बान

यक बला दूर दूसरी बन का

'बहरी' अपनी बहार पर क़ुर्बान

(411) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Qazi Mahmud Behri. is written by Qazi Mahmud Behri. Complete Poem in Hindi by Qazi Mahmud Behri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.