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नफ़रत के साथ प्यार की मीठी तरंग है - क़ाज़ी हसन रज़ा कविता - Darsaal

नफ़रत के साथ प्यार की मीठी तरंग है

नफ़रत के साथ प्यार की मीठी तरंग है

माँझा है काट-दार रंगीली पतंग है

सूरज की इक किरन को तरसता है लफ़्ज़ लफ़्ज़

मेरी ग़ज़ल के चेहरे पे रातों का रंग है

ज़र्रे की आब-ओ-ताब का पेचीदा कारोबार

जिस की झलक को देख के सूरज भी तंग है

मेरे ख़ुलूस के लिए उस में जगह कहाँ

दिल उस का क़ब्र की तरह तारीक-ओ-तंग है

होती है किस की जीत 'रज़ा' देखते रहो

मौज-ए-ग़ज़ब की आज किनारे से जंग है

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In Hindi By Famous Poet Qazi Hasan Raza. is written by Qazi Hasan Raza. Complete Poem in Hindi by Qazi Hasan Raza. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.