Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_7d26d01095e5ef716622c8f4c585f6bc, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
मैं अपने साए से सूरज खा सकता हूँ - क़ाज़ी एजाज़ मेहवर कविता - Darsaal

मैं अपने साए से सूरज खा सकता हूँ

मैं अपने साए से सूरज खा सकता हूँ

लेकिन क्या मैं और इक सूरज ला सकता हूँ

बस इक वक़्त की डोरी हाथ मिरे आ जाए

बरसों आगे सदियों पीछे जा सकता हूँ

चाँद तो इक क़िर्तास है मेरे फ़न की ख़ातिर

जो भी चाहूँ उस पर नक़्श बना सकता हूँ

झूट कभी होते होंगे ऐसे दावे पर

आज मैं सच-मुच तारे तोड़ के ला सकता हूँ

यूँही नहीं कहता है चाँद मिरा हम-साया

इक दीवार फलाँग के उस पर जा सकता हूँ

तू अपने दिल की धड़कन काग़ज़ पर लिख दे

तुझ को इस में अपना-आप दिखा सकता हूँ

मैं ने तो सब रागों की शक्लें देखी हैं

तुझ को देख के भी इक राग में गा सकता हूँ

मैं ने दानिस्ता ख़ुद को गुम कर रक्खा है

जब भी चाहूँ अपना खोज लगा सकता हूँ

(406) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Qazi Ejaz Mehwar. is written by Qazi Ejaz Mehwar. Complete Poem in Hindi by Qazi Ejaz Mehwar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.