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यार बिन घर में अजब सोहबत है - क़ज़लबाश ख़ाँ उम्मीद कविता - Darsaal

यार बिन घर में अजब सोहबत है

यार बिन घर में अजब सोहबत है

दर-ओ-दीवार से अब सोहबत है

दिल हमारा उसे करता है रात

ग़ैर से जो सर-ए-शब सोहबत है

दर्द-ए-दिल उस से जो हम ने न कहा

ऐसी हासिल हुई कब सोहबत है

दहर में पास-ए-नफ़स लाज़िम है

शीशा-ओ-संग ये सब सोहबत है

दस्त-ए-अग़्यार है ज़ेर-ए-सर-ए-यार

आज 'उम्मीद' कढब सोहबत है

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In Hindi By Famous Poet Qazalbash Khan Ummeed. is written by Qazalbash Khan Ummeed. Complete Poem in Hindi by Qazalbash Khan Ummeed. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.