Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_312654f14a2b2ec22fe7fa72a9ce98a2, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
बस एक हिज्र के मौसम का रंग गहरा था - क़य्यूम ताहिर कविता - Darsaal

बस एक हिज्र के मौसम का रंग गहरा था

बस एक हिज्र के मौसम का रंग गहरा था

हर एक रुत को चखा था बरत के देखा था

उस एक लम्हे में कितनी क़यामतें टूटीं

बस एक लम्हे को तेरे असर से निकला था

कोई चराग़ भी रख़्त-ए-सफ़र में रख लेते

सफ़र में रात भी आएगी ये न सोचा था

ख़ुद अपने-आप को छूने का हौसला न रहा

कि मेरे जिस्म पे मेरा ही ख़ून फैला था

वो आज मुझ से मिला है तो कितना बंजर है

जो अपनी आँख में सावन के रंग रखता था

न उस की छाँव थी मेरी न फूल थे मेरे

शजर था सेहन में अपने मगर पराया था

वो साहिलों पे पड़ा अब ख़ला को तकता है

जो पानियों में उतरता था सीप चुनता था

अटा है धूल से कमरा है ताक़ भी सूना

कभी गुलाब सजे थे चराग़ जलता था

(399) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Qayyum Tahir. is written by Qayyum Tahir. Complete Poem in Hindi by Qayyum Tahir. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.