Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_6b502e773195709d721c9add31a3b4f9, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
धुँदला दिया ज़ीस्त का तसव्वुर - क़य्यूम नज़र कविता - Darsaal

धुँदला दिया ज़ीस्त का तसव्वुर

धुँदला दिया ज़ीस्त का तसव्वुर

अपनी आँखों ही की नमी ने

हैवान-सिफ़त हुआ है आख़िर

दिखलाया कमाल आदमी ने

की दोस्ती भी तो दुश्मनी से

जाना न उन्हें मगर हमीं ने

गाढ़े की तो खाल खींच डाली

रात उन के जमाल-ए-रेशमीं ने

शो'लों से बुझाई प्यास जी की

यारों के मिज़ाज-ए-बलग़मीं ने

ये ज़ोहरा ये मुश्तरी ये महताब

क्या क्या न मिलीं नई ज़मीनें

मिट कर भी ग़ुबार-ए-कहकशाँ हैं

चमका दिया किस की हमदमी ने

जो गुल सर-ए-अर्श भी न खिलते

वो गुल भी खिला दिए ज़मीं ने

शायद कि तलब किया 'नज़र' को

का'बे में रसूल-ए-हाशमी ने

(389) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Qayyum Nazar. is written by Qayyum Nazar. Complete Poem in Hindi by Qayyum Nazar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.