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गुल को ख़ुशबू चाँद को उस्लूब-ए-ताबानी मिले - क़य्यूम शाकरी कविता - Darsaal

गुल को ख़ुशबू चाँद को उस्लूब-ए-ताबानी मिले

गुल को ख़ुशबू चाँद को उस्लूब-ए-ताबानी मिले

मेरे जज़्बे से जहाँ को हुस्न-ए-लाफ़ानी मिले

उजली उजली सी फ़ज़ा में रंग बिखरे प्यार का

हुस्न-कारों को मिरा एहसास-ए-ताबानी मिले

देव-क़ामत पैकरों से दिल मिरा घबरा गया

अब तो यारब आम सी इक शक्ल-ए-इंसानी मिले

इस हुजूम-ए-रंज-ओ-ग़म में इक ज़रा सा ज़हर भी

ज़िंदगी को इस तरह से शायद आसानी मिले

अल्लाह अल्लाह ज़िंदगी में इंकिसारी का ये रूप

अहल-ए-नख़वत को भी हम बा-ख़ंदा पेशानी मिले

वक़्त के कतबे पे 'शाकिर' नाम हो कंदा तिरा

अहल-ए-दुनिया को कोई तहरीर लाफ़ानी मिले

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In Hindi By Famous Poet Qayoom Shakri. is written by Qayoom Shakri. Complete Poem in Hindi by Qayoom Shakri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.