एक नज़्म
दिल का दरिया चढ़ जाए तो
आँखों पर बंद बाँधना मुश्किल हो जाता है
इक लम्हा इक सदी बने तो
कहने वाली बात अधूरी रह जाती है
ये मौसम
ये विसाल का मौसम पत्ती पत्ती हो जाता है
होने और न होने का एहसास भी मिटने लगता है
दिल का दरिया चढ़ जाए तो
आँखों पर बंद बाँधना मुश्किल हो जाता है
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