संग को आब करें पल में हमारी बातें
लेकिन अफ़्सोस यही है कि कहाँ सुनते हो
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जिस को हस्ती ओ अदम जानते हैं
गंदुमी रंग जो है दुनिया में
पूछो हो मुझ से तुम कि पिएगा भी तू शराब
जो कोई दर पे तिरे बैठे हैं
किधर अबरू की उस के धाक नहीं
न पूछ ''गिर्या-ए-ख़ूँ का तिरे है क्या बाइस''
दर्द-ए-दिल कुछ कहा नहीं जाता
क़ाज़ी ख़बर ले मय को भी लिक्खा है वाँ मुबाह
निगाहों से निगाहें सामने होते ही जब लड़ियाँ
पहले ही अपनी कौन थी वाँ क़द्र-ओ-मंज़िलत
हम दिवानों को बस है पोशिश से
हर उज़्व है दिल-फ़रेब तेरा