हम दिवानों को बस है पोशिश से
दामन-ए-दश्त ओ चादर-ए-महताब
Rahat Indori
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Wasi Shah
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(285) Peoples Rate This
पढ़ के क़ासिद ख़त मिरा उस बद-ज़बाँ ने क्या कहा
'क़ाएम' मैं इख़्तियार किया शाएरी का ऐब
न जाने कौन सी साअत चमन से बिछड़े थे
दर्द-ए-दिल कुछ कहा नहीं जाता
शब जो दिल बे-क़रार था क्या था
शैख़-जी क्यूँकि मआसी से बचें हम कि गुनाह
क्या में क्या ए'तिबार मेरा
रहने दे शब अपने पास मुझ को
की वफ़ा किस से भला फ़ाहिशा-ए-दुनिया ने
जहाँ को वो लब-ए-मय-गूँ ख़राब रखते हैं
बा'द ख़त आने के उस से था वफ़ा का एहतिमाल
टुक फ़हम इरादत से बरहमन की समझ शैख़