गर्म कर दे तू टुक आग़ोश में आ
मारे जाड़े के ठिरे बैठे हैं
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Javed Akhtar
Habib Jalib
Rahat Indori
Gulzar
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(246) Peoples Rate This
मिरा जी गो तुझे प्यारा नहीं है
मय की तौबा को तो मुद्दत हुई 'क़ाएम' लेकिन
दिल को फाँसा है हर इक उज़्व की तेरे छब ने
'क़ाएम' मैं इख़्तियार किया शाएरी का ऐब
मिरी नज़र में है 'क़ाएम' ये काएनात तमाम
क्या में क्या ए'तिबार मेरा
गिर्या तो 'क़ाएम' थमा मिज़्गाँ अभी होंगे न ख़ुश्क
थोड़ी सी बात में 'क़ाएम' की तू होता है ख़फ़ा
छोड़ मावा-ए-ज़क़न ज़ुल्फ़-ए-परेशाँ में फँसा
पहले ही गधा मिले जहाँ शैख़
न बीम-ए-ग़म है ने शादी की हम उम्मीद करते हैं
याँ सदा नीश-ए-बला वक़्फ़-ए-जिगर-रेशी है