तेरी ज़बाँ से ख़स्ता कोई ज़ार है कोई
तेरी ज़बाँ से ख़स्ता कोई ज़ार है कोई
प्यारे ये नहव ओ सर्फ़ ये गुफ़्तार है कोई
ठोकर में हर क़दम की तड़पते हैं दिल कई
ज़ालिम इधर तो देख ये रफ़्तार है कोई
जूँ शाख़-ए-गुल है फ़िक्र में मेरी शिकस्त की
मेरा गर उस चमन में हवा-दार है कोई
ज़ालिम ख़बर तो ले कहीं 'क़ाएम' ही ये न हो
नालान ओ मुज़्तरिब पस-ए-दीवार है कोई
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