दिन ही मिलिएगा या शब आइएगा
दिन ही मिलिएगा या शब आइएगा
बंदा-ख़ाना में फिर कब आइएगा
लग चली ही सी है अभी तो ख़याल
ढब चढ़ेगा तो कुछ ढबाइएगा
एक बोसे पे दीन ओ दिल तो लिया
और कितना मुझे दबाइएगा
जा चुके हम जब आप से प्यारे
क्यूँ न इस राह से अब आइएगा
हम भी मुल्ला से कुछ करेंगे शुरूअ'
आप किस वक़्त मकतब आइएगा
कर ले करनी जो है ख़रीद-ओ-फ़रोख़्त
फेर इस पैंठ में कब आइएगा
अब तो 'क़ाएम' है कूच ही की सलाह
यूँ घर अपना है फिर जब आइएगा
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