आवे ख़िज़ाँ चमन की तरफ़ गर मैं रू करूँ

आवे ख़िज़ाँ चमन की तरफ़ गर मैं रू करूँ

ग़ुंचा करे गुलों को सबा गर मैं बू करूँ

आज़ुर्दा इस चमन में हूँ मानिंद-ए-बर्ग-ए-ख़ुश्क

छेड़े जो टुक नसीम मुझे सौ ग़ुलू करूँ

आँखों से जाए अश्क गिरीं गुल चमन चमन

मंज़ूर गिर्या गर मैं तिरा रंग-ओ-बू करूँ

आया हूँ पारा-दोज़ी-ए-दिल से निपट ब-तंग

ऐसे फटे हुए को मैं कब तक रफ़ू करूँ

क्या आरज़ू कि ख़ाक में अपनी मिलें न याँ

किस रू से अब फ़लक से मैं कुछ आरज़ू करूँ

कहता है आइना कि है तुझ सा ही एक और

बावर नहीं तो ला मैं तिरे रू-ब-रू करूँ

सारे ही इस चमन से हवा-ख़्वाह उठ गए

रोऊँ गुलों को या मैं ग़म-ए-रंग-ओ-बू करूँ

'क़ाएम' ये जी में है कि तक़य्युद से शैख़ की

अब के जो मैं नमाज़ करूँ बे-वज़ू करूँ

(326) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Qayem Chandpuri. is written by Qayem Chandpuri. Complete Poem in Hindi by Qayem Chandpuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.