Ghazals of Qayem Chandpuri (page 1)

Ghazals of Qayem Chandpuri (page 1)
नामक़ाएम चाँदपुरी
अंग्रेज़ी नामQayem Chandpuri
जन्म की तारीख1725
मौत की तिथि1794
जन्म स्थानChandpur

ज़ाहिद दर-ए-मस्जिद पे ख़राबात की तू ने

यूँही रंजिश हो और गिला भी यूँही

यूँ तो दुनिया में हर इक काम के उस्ताद हैं शैख़

याँ सदा नीश-ए-बला वक़्फ़-ए-जिगर-रेशी है

वाशुद की दिल के और कोई राह ही नहीं

वाक़िफ़ नहीं हम कि क्या है बेहतर

उठ जाए गर ये बीच से पर्दा हिजाब का

टुक तो ख़ामोश रखो मुँह में ज़बाँ सुनते हो

तेरी ज़बाँ से ख़स्ता कोई ज़ार है कोई

तर्क-ए-वफ़ा गरचे सदाक़त नहीं

ता-चंद सुख़न-साज़ी-ए-नैरंग-ए-ख़राबात

शिकवा न बख़्त से है ने आसमाँ से मुझ को

शब किस से ये हम जुदा रहे हैं

शब जो दिल बे-क़रार था क्या था

सहरा पे गर जुनूँ मुझे लावे इताब में

रहने दे शब अपने पास मुझ को

क़त्ल पे तेरे मुझे कद चाहिए

क़ासिद को दे न ऐ दिल उस गुल-बदन की पाती

फूटी भली वो आँख जो आँसू से तर नहीं

फिर के जो वो शोख़ नज़र कर गया

पास-ए-इख़्लास सख़्त है तकलीफ़

पढ़ के क़ासिद ख़त मिरा उस बद-ज़बाँ ने क्या कहा

ओहदे से तेरे हम को बर आया न जाएगा

निगाहों से निगाहें सामने होते ही जब लड़ियाँ

नासेहा कर न इसे सी के पशेमाँ मुझ को

नहीं बंद-ए-क़बा में तन हमारा

न पूछो कि 'क़ाएम' का क्या हाल है

न पूछ ''गिर्या-ए-ख़ूँ का तिरे है क्या बाइस''

न कह कि बे-असर अन्फ़ास-ए-सर्द होते हैं

न दिल भरा है न अब नम रहा है आँखों में

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