क़ाएम चाँदपुरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का क़ाएम चाँदपुरी
नाम | क़ाएम चाँदपुरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Qayem Chandpuri |
जन्म की तारीख | 1725 |
मौत की तिथि | 1794 |
जन्म स्थान | Chandpur |
मैं कहा ख़ल्क़ तुम्हारी जो कमर कहती है
ज़ालिम तू मेरी सादा-दिली पर तो रहम कर
ये पास-ए-दीं तिरा है सब उस वक़्त तक कि शैख़
याँ तलक ख़ुश हूँ अमारिद से कि ऐ रब्ब-ए-करीम
वहशत-ए-दिल कोई शहरों में समा सकती है
टूटा जो काबा कौन सी ये जा-ए-ग़म है शैख़
टुकड़े कई इक दिल के मैं आपस में सिए हैं
टुक फ़हम इरादत से बरहमन की समझ शैख़
थोड़ी सी बात में 'क़ाएम' की तू होता है ख़फ़ा
तर्क कर अपना भी कि इस राह में
तरफ़ ने बंद किया है हर इक तरफ़ से तुझे
सुब्ह तक था वहीं ये मुख़्लिस भी
शिकवा न बख़्त से है ने आसमाँ से मुझ को
शामत है क्या कि शैख़ से कोई मिले कि वाँ
शैख़-जी माना मैं इस को तुम फ़रिश्ता हो तो हो
शैख़-जी क्यूँकि मआसी से बचें हम कि गुनाह
शैख़-जी आया न मस्जिद में वो काफ़िर वर्ना हम
संग को आब करें पल में हमारी बातें
सैर उस कूचे की करता हूँ कि जिब्रील जहाँ
रौनक़-ए-बादा-परस्ती थी हमीं तक जब से
रस्म इस घर की नहीं दाद किसू की दे कोई
क़िस्सा-ए-बरहना-पाई को मिरे ऐ मजनूँ
क़िस्मत तो देख टूटी है जा कर कहाँ कमंद
क़ाज़ी ख़बर ले मय को भी लिक्खा है वाँ मुबाह
'क़ाएम' मैं रेख़्ता को दिया ख़िलअत-ए-क़ुबूल
'क़ाएम' मैं इख़्तियार किया शाएरी का ऐब
क़ाएम मैं ग़ज़ल तौर किया रेख़्ता वर्ना
'क़ाएम' जो कहें हैं फ़ारसी यार
'क़ाएम' हयात-ओ-मर्ग-ए-बुज़-ओ-गाव में हैं नफ़अ
पूछो हो मुझ से तुम कि पिएगा भी तू शराब