कोई देता है किसी को भी तो क्या देता है
कोई देता है किसी को भी तो क्या देता है
दस्त-ए-एहसान को मीज़ान पे ला देता है
कोई तो संग-ए-लब-ए-राह सा मूनिस ठहरे
राह का मोड़ जो चुपके से बता देता है
शहर-ए-गुम-गश्ता का वो कतबा जो है गर्द-आलूद
हर मुसाफ़िर उसे जीने की दुआ देता है
ये मिरा अहद है तावील-ए-सुकूनत दे कर
घर के दरवाज़े को दीवार बना देता है
'क़ौस' बे-सूद नहीं जाता है पानी का लहू
ये टपकता है तो रंगीन फ़ज़ा देता है
(420) Peoples Rate This