म्यूज़िक डाइरेक्टर
कभी सारे कभी गामा कभी पाधा कभी नीसा
मसाला जान कर इस नय सदा हर गीत को पैसा
कभी उस ने मिला देखा जो मूली को चुक़ंदर से
तो लाया दूर की कौड़ी ये सरगम के समुंदर से
बनाई जो भी तर्ज़ उस ने वो फ़न की जान होती थी
कि उस में ऊँट की गर्दन से लम्बी तान होती थी
नहीं था चोर लेकिन कोई तोहमत आ भी जाती थी
किसी की धुन से उस की धुन कभी टकरा भी जाती थी
किए हैं भांजे रिकॉर्डिंग में शामिल-ए-बाजा
लिखाया गीत बावर्ची से उस ने ''आसूरे-राजा''
ये अक्सर शाइरों को बे-तरह इस्लाह देता है
और उस पर अपने साज़िंदों से खुल कर दाद लेता है
महूरत पर सदा उस के लगे में हार होते थे
ज़रूरत पर उसे दो घोंट भी दरकार होते थे
बरहमन को गंवाईं ठुमरियाँ इस ने शिवाले में
ख़ुदा-बख़्शे बहुत सी ख़ूबियाँ थीं मरने वाले में
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