Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_8358a1bad9e19e05442e9a3a40d7c04d, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
अपने होंटों पर सजाना चाहता हूँ - क़तील शिफ़ाई कविता - Darsaal

अपने होंटों पर सजाना चाहता हूँ

अपने होंटों पर सजाना चाहता हूँ

आ तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ

कोई आँसू तेरे दामन पर गिरा कर

बूँद को मोती बनाना चाहता हूँ

थक गया मैं करते करते याद तुझ को

अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ

छा रहा है सारी बस्ती में अँधेरा

रौशनी को, घर जलाना चाहता हूँ

आख़री हिचकी तिरे ज़ानू पे आए

मौत भी मैं शाइ'राना चाहता हूँ

(581) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Qateel Shifai. is written by Qateel Shifai. Complete Poem in Hindi by Qateel Shifai. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.