क़तील शिफ़ाई कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का क़तील शिफ़ाई (page 6)
नाम | क़तील शिफ़ाई |
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अंग्रेज़ी नाम | Qateel Shifai |
जन्म की तारीख | 1919 |
मौत की तिथि | 2001 |
निगाहों में चमक दिल में ख़ुशी महसूस करता हूँ
नए इक शहर को सुब्ह-ए-सफ़र क्या ले चली मुझ को
न कोई ख़्वाब हमारे हैं न ताबीरें हैं
मिल-जुल के बरहना जिसे दुनिया ने किया है
मिल कर जुदा हुए तो न सोया करेंगे हम
मिरी नज़र से न हो दूर एक पल के लिए
मेहरबाँ हम पे जो तक़दीर हमारी होगी
मरहला रात का जब आएगा
मंज़िल जो मैं ने पाई तो शश्दर भी मैं ही था
मंज़र समेट लाए हैं जो तेरे गाँव के
मैं ने पूछा पहला पत्थर मुझ पर कौन उठाएगा
लहू में डूबा हुआ मिला है वफ़ा का हर इक उसूल तुझ को
क्या ख़बर कब नींद आए दीदा-ए-बे-ख़्वाब में
क्या जाने किस ख़ुमार में किस जोश में गिरा
क्या इश्क़ था जो बाइस-ए-रुस्वाई बन गया
क्या इस का गिला कीजे उसे प्यार ही कब था
कुछ ग़ुंचा-लबों की याद आई कुछ गुल-बदनों की याद आई
कोई मक़ाम-ए-सुकूँ रास्ते में आया नहीं
किया है प्यार जिसे हम ने ज़िंदगी की तरह
खुला है झूट का बाज़ार आओ सच बोलें
ख़याल-ए-जुब्बा-ओ-दस्तार भी नहीं बाक़ी
कैसे कैसे भेद छुपे हैं प्यार भरे इक़रार के पीछे
कहूँ क्या फ़साना-ए-ग़म उसे कौन मानता है
जो बीत गई उस की ख़बर है कि नहीं है
जो भी ग़ुंचा तिरे होंटों पे खिला करता है
जो भी ग़ुंचा तिरे होंटों पे खिला करता है
झमकते झूमते मौसम का धोका खा रहा हूँ मैं
जब से असीर-ए-ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर हो गया
जब अपने ए'तिक़ाद के मेहवर से हट गया
जाँच-परख कर देख चुकी तू हर मुँह-बोले भाई को