क़तील शिफ़ाई कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का क़तील शिफ़ाई (page 5)
नाम | क़तील शिफ़ाई |
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अंग्रेज़ी नाम | Qateel Shifai |
जन्म की तारीख | 1919 |
मौत की तिथि | 2001 |
उसे मना कर ग़ुरूर उस का बढ़ा न देना
उस पर तुम्हारे प्यार का इल्ज़ाम भी तो है
उस अदा से भी हूँ मैं आश्ना तुझे इतना जिस पे ग़ुरूर है
उफ़ुक़ के उस पार ज़िंदगी के उदास लम्हे गुज़ार आऊँ
उफ़ुक़ के उस पार ज़िंदगी के उदास लम्हे गुज़ार आऊँ
तुम्हारी अंजुमन से उठ के दीवाने कहाँ जाते
तुम पूछो और मैं न बताऊँ ऐसे तो हालात नहीं
तितलियों का रंग हो या झूमते बादल का रंग
थी हम-आग़ोशी मगर कुछ भी मुझे हासिल न था
तरब-ख़ानों के नग़्मे ग़म-कदों को भा नहीं सकते
तमाम-तर उसी ख़ाना-ख़राब जैसा है
तह में जो रह गए वो सदफ़ भी निकालिए
तड़पती हैं तमन्नाएँ किसी आराम से पहले
सुकून-ए-दिल तो कहाँ राहत-ए-नज़र भी नहीं
सितम के बा'द करम की अदा भी ख़ूब रही
सिसकियाँ लेती हुई ग़मगीं हवाओ चुप रहो
शायद मिरे बदन की रुस्वाई चाहता है
शर्मिंदा उन्हें और भी ऐ मेरे ख़ुदा कर
साया-ए-ज़ुल्फ़ सियह-फ़ाम कहाँ तक पहुँचे
सदमे झेलूँ जान पे खेलूँ उस से मुझे इंकार नहीं है
सदमा तो है मुझे भी कि तुझ से जुदा हूँ मैं
रास्ते याद नहीं राह-नुमा याद नहीं
रक़्स करने का मिला हुक्म जो दरियाओं में
रंग जुदा आहंग जुदा महकार जुदा
राब्ता लाख सही क़ाफ़िला-सालार के साथ
प्यार दुलार के साए साए चला करो
फूल पे धूल बबूल पे शबनम देखने वाले देखता जा
परेशाँ रात सारी है सितारो तुम तो सो जाओ
पर्बत पर्बत घूम चुका हूँ सहरा सहरा छान रहा हूँ
निगाहों में ख़ुमार आता हुआ महसूस होता है