क़तील शिफ़ाई कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का क़तील शिफ़ाई (page 3)
नाम | क़तील शिफ़ाई |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Qateel Shifai |
जन्म की तारीख | 1919 |
मौत की तिथि | 2001 |
जब भी आता है मिरा नाम तिरे नाम के साथ
हुस्न को चाँद जवानी को कँवल कहते हैं
हम उसे याद बहुत आएँगे
हम को आपस में मोहब्बत नहीं करने देते
हौसला किस में है यूसुफ़ की ख़रीदारी का
हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएँगे
हालात से ख़ौफ़ खा रहा हूँ
गुनगुनाती हुई आती हैं फ़लक से बूँदें
गिरते हैं समुंदर में बड़े शौक़ से दरिया
गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं
दुश्मनी मुझ से किए जा मगर अपना बन कर
दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था
दिल पे आए हुए इल्ज़ाम से पहचानते हैं
दाद-ए-सफ़र मिली है किसे राह-ए-शौक़ में
चलो अच्छा हुआ काम आ गई दीवानगी अपनी
ब-पास-ए-दिल जिसे अपने लबों से भी छुपाया था
अपनी ज़बाँ तो बंद है तुम ख़ुद ही सोच लो
अपने लिए अब एक ही राह नजात है
अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की
अहबाब को दे रहा हूँ धोका
अच्छा यक़ीं नहीं है तो कश्ती डुबा के देख
अभी तो बात करो हम से दोस्तों की तरह
अब जिस के जी में आए वही पाए रौशनी
आया ही था अभी मिरे लब पे वफ़ा का नाम
आख़री हिचकी तिरे ज़ानूँ पे आए
ज़िंदगी या तवाइफ़
उम्र पोशी
उकताहट
तेरे ख़तों की ख़ुश्बू
सत्तरहवाँ सिंगार