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ज़िंदगी अपना फ़ैसला ख़ुद लिखेगी - क़ासिम याक़ूब कविता - Darsaal

ज़िंदगी अपना फ़ैसला ख़ुद लिखेगी

हम अपनी बरहनगी छुपाते फिरते हैं

ऐसी हालत में तआरुफ़ का फ़ल्सफ़ा

दीवानगी में बड़बड़ाना होता है

बिखरी चीज़ों के अम्बार में

किस किस का रुत्बा याद रखते

हम ने मर्ज़ी की तरतीब बना ली

ख़ुश्बू का एहतिमाम कहाँ से करते

बदबू हमें ज़्यादा पुर-तपाकी से मिली

हम अपने ही जिस्मों को छू कर ख़ुश हो जाने वाले

सड़ांद देती चीज़ों से सफ़ाई माँग रहे हैं

हमारे घरों की छतों पर बे-आवाज़ बारिश होती है

हम झुलसते कमरों में

पानी के ख़्वाब देखने के लिए

अपने बिस्तरों से दूर जा के सोते हैं

हमारी आँखों के शीशों में नींद नहीं

मौत आ के अपना चेहरा देखती है

हम वो उखड़े रास्ते हैं

जिस को गिर्द के पहरे-दारों ने हमवार नहीं होने दिया

हमारी तवील सरगुज़िश्त में तकरार ही तकरार है

हमें सिर्फ़ एक रुख़ वाले सफ़्हे पर तहरीर किया गया

जो अपने पहले हिस्से से आ मिलता है

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In Hindi By Famous Poet Qasim Yaqub. is written by Qasim Yaqub. Complete Poem in Hindi by Qasim Yaqub. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.