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एक कत्बे की तलाश में - क़ासिम याक़ूब कविता - Darsaal

एक कत्बे की तलाश में

हवाओं के तआक़ुब में

मैं इक तितली से टकरा के ज़मीं पर गिर पड़ा हूँ

परों की गुदगुदाहट से

मिरे माथे से ख़ूँ बहने लगा है

मुझे यकसानियत से ख़ौफ़ आता है

ज़्यादा देर इक ही कैफ़ियत में ज़िंदा रहना कितना मुश्किल है

पुराने मौसमों की नौहा-ख़्वानी में

नए मौसम की ख़्वाहिश पैदा होती है

मैं अपने हलक़ के अंदर कुआँ तामीर करता हूँ

मैं उड़ सकता हूँ

लेकिन मेरी बे-ताबी को जाने कौन सी मौज-ए-हवा

आग़ोश में लेगी

मैं थक के बैठ सकता हूँ

मगर सारी ज़मीं मेरे लिए औंधी पड़ी है

मिरी सोचों के मरकज़ से निकलते रास्तों पर

मेरे नक़्श-ए-पा के बे-तरतीब ख़ाकों में

अब आँखें उग गईं हैं

हवा के हाथ में इक लौह मेरा ख़्वाब-नामा है

हवाओं के तआक़ुब में अगर मैं मर गया

तो कौन मेरी लहद पर उस लौह को कतबा बनाएगा

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In Hindi By Famous Poet Qasim Yaqub. is written by Qasim Yaqub. Complete Poem in Hindi by Qasim Yaqub. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.