बस नहीं चलता है वर्ना अपने मर जाने के साथ
फेंक देते खोद कर दुनिया की सब बुनियाद हम
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Javed Akhtar
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Ahmad Faraz
Gulzar
Parveen Shakir
Anwar Masood
Allama Iqbal
Rahat Indori
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नासेहा वा'ज़ जो कहता था तुझे बिन देखे
इश्क़ है ऐ दिल कठिन कुछ ख़ाना-ए-ख़ाला नहीं
जता न मेरे तईं अपना तू हुनर वाइ'ज़
पाँच दिन को जो यहाँ पर आ गया
क्या फ़रोग़-ए-बज़्म उस मह-रू का शब सद-रंग था
अब्र साँ हर-चंद रक्खा चश्म को पुर-आब हम
दर्द-ए-दिल का किसे करूँ इज़हार
मुझ को तो शराब से मस्ती है और
अगर शम्अ हुए तो गल गए हम
शराब साक़ी-ए-कौसर से लीजो 'आफ़रीदी'
ख़त्त-ए-आज़ादी लिखा था शोख़ ने फ़र्दा ग़लत
मोहब्बत मा-सिवा की जिस ने की गोरी कलोटी की