जो मेरा ले गया दिल कौन वो इंसान है क्या है
जो मेरा ले गया दिल कौन वो इंसान है क्या है
परी है या मलक या हूर या ग़िलमान है क्या है
नज़र ज़ुल्फ़ों पे उस की जा पड़ी जिस की लगा कहने
ये दोनों साँप हैं या काकुल-ए-पेचान है क्या है
गया हूँ भूल सब कुछ दुख़्तर-ए-रज़ जैसे हाथ आई
जिगर है जान है ईमान है ईक़ान है क्या है
हमारे यार के कुछ दरमियाँ जो बात बोल उट्ठे
रक़ीब-ए-रू-सियह ग़म्माज़ या शैतान है क्या है
ज़मीं पर झाँकते हैं रोज़-ओ-शब अफ़्लाक से किस को
मह-ओ-ख़ुर या किसी का दीदा-ए-हैरान है क्या है
मिरे रोने को देखा हिज्र में जिस ने सो यूँ बोला
झड़ी बरसात की या मौजा-ए-तूफ़ान है क्या है
ब-जोश-ए-इश्क़ लटके है नहीं मुझ को तमीज़ इतनी
ब-मिज़्गाँ लख़्त-ए-दिल या दुर है या मरजान है क्या है
मिरी छाती पे रख कर दस्त की तश्ख़ीस हुकमा ने
ये सीना कान-ए-गंधक या कि आतिश-दान है क्या है
जले सीने से दूद उट्ठा दिमाग़ आशुफ़्ता कर डाला
मुकर्रर दिल भुना या फिर जिगर बिरयान है क्या है
न भूल ऐ ख़िज़्र मर जाना है आख़िर टुक जिया तो क्या
अगर मादाम है क्या है वगर यक आन है क्या है
फ़ना-फ़िश्शैख़ हो, तफ़रीक़ 'अफ़रीदी' न कर हरगिज़
नबी है या अली या हाफ़िज़-ए-क़ुरआन है क्या है
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