Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_bc29c7a06e64b5f249f237be916f0ccd, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
बंदा-परवर जो न पछ्ताइएगा - क़ासिम अली ख़ान अफ़रीदी कविता - Darsaal

बंदा-परवर जो न पछ्ताइएगा

बंदा-परवर जो न पछ्ताइएगा

बंदा-ख़ाना पे कभी आइएगा

याद कीजेगा मोहब्बत अगली

ग़ैर के मिलने से शरमाइएगा

बोसा दीजेगा गले लग लग कर

ज़्यादा और मुझ को न बकवाइएगा

मेरे ग़म्माज़ को अपने दर से

धक्के यकबार तो दिलवाइगा

हुस्न के सदक़े मिरी ख़ातिर से

कदर-ए-दिल ज़रा धुलवाइएगा

सितम-ओ-जौर-ओ-जफ़ा का शेवा

छोड़ दीजेगा न बल खाइएगा

ताक़त-ओ-सब्र तहम्मुल मेरा

ले के कुछ और ही फ़रमाइएगा

ज़िंदगी हिज्र में होना मा'लूम

जी में आता है कि मर जाइएगा

ज़ुल्फ़ में दिल को फँसा कर मेरे

आप शाने से न सुलझाइएगा

सैद मतलूब हो तो बंदा का सर

अपने फ़ितराक से लटकाइएगा

अर्ज़ 'अफ़रीदी' की कीजे मंज़ूर

आप तशरीफ़ इधर लाइएगा

गर न मानोगे मिरी बात सुनो

फिर न मेरे तईं समझाइएगा

याँ पे मौक़ूफ़ है क्या 'अफ़रीदी'

मुँह न फिर हश्र को दिखलाइएगा

(355) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Qasim Ali Khan Afridi. is written by Qasim Ali Khan Afridi. Complete Poem in Hindi by Qasim Ali Khan Afridi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.