क़ासिम अली ख़ान अफ़रीदी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का क़ासिम अली ख़ान अफ़रीदी (page 2)
नाम | क़ासिम अली ख़ान अफ़रीदी |
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अंग्रेज़ी नाम | Qasim Ali Khan Afridi |
जी रहे या न रहे हर क़दम-ए-यार न छोड़
जता न मेरे तईं अपना तू हुनर वाइ'ज़
जब किसी ने आन कर दिल से मिरे पुरख़ाश की
इश्क़ की कोई अगर सीख ले गर मुझ से तमीज़
इस अर्ज़ के तख़्ते पर संसार है और मैं हूँ
हम ने तो उजाड़ और बस्ती देखी
हम न महज़ूज़ हुए हैं किसी शय से ऐसे
फ़ासिक़ जो अगर आशिक़-ए-दीवाना हुआ तो क्या
दर्द-ए-दिल का किसे करूँ इज़हार
बंदा-परवर जो न पछ्ताइएगा
अपने जानान को ऐ जान इसी जान में ढूँढ
ऐ दिल अब इश्क़ की लै-गोई और चौगान में आ
अगर शम्अ हुए तो गल गए हम
अब्र साँ हर-चंद रक्खा चश्म को पुर-आब हम
आशिक़-ए-सोख़्ता-दिल ख़त्त-ए-सनम दोनों एक