दुश्मन-वुश्मन नेज़ा-वेज़ा ख़ंजर-वंजर क्या
दुश्मन-वुश्मन नेज़ा-वेज़ा ख़ंजर-वंजर क्या
इश्क़ के आगे मात है सब की लश्कर-वश्कर क्या
एक तिरे ही जल्वे से रौशन हैं ये आँखें
साअ'त-वाअ'त लम्हे-वम्हे मंज़र-वंज़र क्या
तेरे रूप के आगे फीके चांद-सितारे भी
बाली-वाली कंगन-वंगन ज़ेवर-वेवर क्या
तेरा नाम ही अंतिम सुर है धरती-ता-आकाश
साधू-वाधू पंडित-वंडित मंतर-वंतर क्या
यार 'क़मर' की बातों का क्या उस की एक ही रट
लिखता है बस नाम तिरा वो काफ़र-वाफ़र क्या
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