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मरने की कोई राह न जीने का सबब है - क़मर रईस कविता - Darsaal

मरने की कोई राह न जीने का सबब है

मरने की कोई राह न जीने का सबब है

जीना भी यहाँ क़हर है मरना भी ग़ज़ब है

आ जाओ ये कूचा भी रह-ए-गेसू-ओ-लब है

ज़ंजीर भी ख़ंजर पे लहू भी यहाँ सब है

सुनते हुए जुग बीत गया क़िस्सा-ए-जम्हूर

अब इस को हक़ीक़त भी बना डालिए तब है

ये आज फ़ज़ा में जो घुटन है जो उमस है

कहते हैं ये तूफ़ाँ के लिए हुस्न-ए-तलब है

पहचान ही लेगा ये लहू दामन-ए-क़ातिल

हाँ हश्र का हंगाम बता दो कोई कब है

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In Hindi By Famous Poet Qamar Raees. is written by Qamar Raees. Complete Poem in Hindi by Qamar Raees. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.