दैर ओ काबा से जो हो कर गुज़रे
दोस्त की राहगुज़र याद आई
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Wasi Shah
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(414) Peoples Rate This
अब मैं समझा तिरे रुख़्सार पे तिल का मतलब
मोहब्बत का जहाँ है और मैं हूँ
लज़्ज़त-ए-दर्द-ए-जिगर याद आई
किसी की राह में काँटे किसी की राह में फूल
मंज़िलों के निशाँ नहीं मिलते
हर्फ़ आने न दिया इश्क़ की ख़ुद्दारी पर
बे-नक़ाब उन की जफ़ाओं को किया है मैं ने
मेरी राहों में कई मरहले दुश्वार आए
तुम उसी को वज्ह-ए-तरब कहो हम उसी को बाइ'स-ए-ग़म कहें
क़दम उठे भी नहीं बज़्म-ए-नाज़ की जानिब
नज़र है जल्वा-ए-जानाँ है देखिए क्या हो