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बे-नक़ाब उन की जफ़ाओं को किया है मैं ने - क़मर मुरादाबादी कविता - Darsaal

बे-नक़ाब उन की जफ़ाओं को किया है मैं ने

बे-नक़ाब उन की जफ़ाओं को किया है मैं ने

वक़्त के हाथ में आईना दिया है मैं ने

ख़ून ख़ुद शौक़ ओ तमन्ना का किया है मैं ने

अपनी तस्वीर को इक रंग दिया है मैं ने

ये तो सच है कि नहीं अपने गरेबाँ की ख़बर

तेरा दामन तो कई बार सिया है मैं ने

रसन ओ दार की तक़दीर जगा दी जिस ने

तेरी दुनिया में वो ऐलान किया है मैं ने

हर्फ़ आने न दिया इश्क़ की ख़ुद्दारी पर

काम नाकाम तमन्ना से लिया है मैं ने

जब कभी उन की जफ़ाओं की शिकायत की है

तजज़िया अपनी वफ़ा का भी किया है मैं ने

मुद्दतों बाद जो इस राह से गुज़रा हूँ 'क़मर'

अहद-ए-रफ़्ता को बहुत याद किया है मैं ने

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In Hindi By Famous Poet Qamar Moradabadi. is written by Qamar Moradabadi. Complete Poem in Hindi by Qamar Moradabadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.