मैं हुस्न-ए-मुत्लक़ की कुर्सी पर
बैठ कर
एक गदागर से
शहर का फ़साना सुन रहा हूँ
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Habib Jalib
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Rahat Indori
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हम सितारों की तरह डूब गए
दस्त-ए-जुनूँ में दामन-ए-गुल को लाने की तदबीर करें
एक पत्थर कि दस्त-ए-यार में है
दरवेश
क़िस्सा-ए-चहार-ख़्वाब
पहाड़ी की आख़िरी शाम
शहर की गलियाँ घूम रही हैं मेरे क़दम के साथ
शैख़ के घर के सामने आब-ए-हराम डाल दूँ
साया नहीं है दूर तक साए में आएँ किस तरह
मुलाक़ात
रात का ताज
मेरी मोहब्बत चाहती है