सुकूँ-पसंद जो दीवानगी मिरी होती
सुकूँ-पसंद जो दीवानगी मिरी होती
ख़बर किसी को न अंजाम इश्क़ की होती
ग़लत बताते हो नासेह जो मेरी फ़रियादें
ख़ता-मुआफ़ मोहब्बत किसी से की होती
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सुकूँ-पसंद जो दीवानगी मिरी होती
ख़बर किसी को न अंजाम इश्क़ की होती
ग़लत बताते हो नासेह जो मेरी फ़रियादें
ख़ता-मुआफ़ मोहब्बत किसी से की होती
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