रोएँगे देख कर सब बिस्तर की हर शिकन को
वो हाल लिख चला हूँ करवट बदल बदल कर
Allama Iqbal
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Wasi Shah
Parveen Shakir
Gulzar
Habib Jalib
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(613) Peoples Rate This
अगर आ जाए पहलू में 'क़मर' वो माह-ए-कामिल भी
रौशन है मेरा नाम बड़ा नामवर हूँ मैं
नशेमन ख़ाक होने से वो सदमा दिल को पहुँचा है
अबरू तो दिखा दीजिए शमशीर से पहले
ख़त्म शब क़िस्सा-ए-मुख़्तसर न हुई
दिल अगर होता तो मिल जाता निशान-ए-आरज़ू
सज्दे तिरे कहने से मैं कर लूँ भी तो क्या हो
दोनों हैं उन के हिज्र का हासिल लिए हुए
देखते हैं रक़्स में दिन रात पैमाने को हम
ब-जुज़ तुम्हारे किसी से कोई सवाल नहीं
कौन से थे वो तुम्हारे अहद जो टूटे न थे
देखिए हो गई बदनाम मसीहाई भी