मुझे मेरे मिटने का ग़म है तो ये है
तुम्हें बेवफ़ा कह रहा है ज़माना
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Rahat Indori
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Gulzar
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(522) Peoples Rate This
ज़ब्त करता हूँ तो घुटता है क़फ़स में मिरा दम
ख़त्म शब क़िस्सा-ए-मुख़्तसर न हुई
मिरा ख़ामोश रह कर भी उन्हें सब कुछ सुना देना
अब आगे इस में तुम्हारा भी नाम आएगा
अभी बाक़ी हैं पत्तों पर जले तिनकों की तहरीरें
मुद्दतें हुईं अब तो जल के आशियाँ अपना
कब मेरा नशेमन अहल-ए-चमन गुलशन में गवारा करते हैं
शब को मिरा जनाज़ा जाएगा यूँ निकल कर
यही है गर ख़ुशी तो रात भर गिनते रहो तारे
कौन से थे वो तुम्हारे अहद जो टूटे न थे
रहा बरसात में ऐ शैख़ मैं सूखा न तू सूखा
तेरे क़ुर्बान 'क़मर' मुँह सर-ए-गुलज़ार न खोल