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उन्हें क्यूँ फूल दुश्मन ईद में पहनाए जाते हैं - क़मर जलालवी कविता - Darsaal

उन्हें क्यूँ फूल दुश्मन ईद में पहनाए जाते हैं

उन्हें क्यूँ फूल दुश्मन ईद में पहनाए जाते हैं

वो शाख़-ए-गुल की सूरत नाज़ से बल खाए जाते हैं

अगर हम से ख़ुशी के दिन भी वो घबराए जाते हैं

तो क्या अब ईद मिलने को फ़रिश्ते आए जाते हैं

वो हँस कर कह रहे हैं मुझ से सुन कर ग़ैर के शिकवे

ये कब कब के फ़साने ईद में दोहराए जाते हैं

न छेड़ इतना उन्हें ऐ वादा-ए-शब की पशेमानी

कि अब तो ईद मिलने पर भी वो शरमाए जाते हैं

'क़मर' अफ़्शाँ चुनी है रुख़ पे उस ने इस सलीक़े से

सितारे आसमाँ से देखने को आए जाते हैं

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In Hindi By Famous Poet Qamar Jalalvi. is written by Qamar Jalalvi. Complete Poem in Hindi by Qamar Jalalvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.