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दिल अगर होता तो मिल जाता निशान-ए-आरज़ू - क़मर जलालवी कविता - Darsaal

दिल अगर होता तो मिल जाता निशान-ए-आरज़ू

दिल अगर होता तो मिल जाता निशान-ए-आरज़ू

तुम ने तो मिस्मार कर डाला मकान-ए-आरज़ू

ना-मुकम्मल रह गया आख़िर बयान-ए-आरज़ू

कहते कहते सो गए हम दास्तान-ए-आरज़ू

दिल पे रख लो हाथ फिर सुनना बयान-ए-आरज़ू

दास्तान-ए-आरज़ू है दास्तान-ए-आरज़ू

हज़रत-ए-मूसा यहाँ लग़्ज़िश न कर जाना कहीं

इम्तिहान-ए-आरज़ू है इम्तिहान-ए-आरज़ू

दिल मिरा दुश्मन सही लेकिन कहूँ तो क्या कहूँ

राज़-दान-ए-आरज़ू है राज़-दान-ए-आरज़ू

तुम तो सिर्फ़ इक दीद की हसरत पे बरहम हो गए

कम से कम पूरी तो सुनते दास्तान-ए-आरज़ू

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In Hindi By Famous Poet Qamar Jalalvi. is written by Qamar Jalalvi. Complete Poem in Hindi by Qamar Jalalvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.