Ghazals of Qamar Jalalvi (page 2)
नाम | क़मर जलालवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Qamar Jalalvi |
जन्म की तारीख | 1887 |
मौत की तिथि | 1968 |
जन्म स्थान | Karachi |
देखिए हो गई बदनाम मसीहाई भी
छोड़ कर घर-बार अपना हसरत-ए-दीदार में
बारिश में अहद तोड़ के गर मय-कशी हुई
बला से हो शाम की सियाही कहीं तो मंज़िल मिरी मिलेगी
ब-जुज़ तुम्हारे किसी से कोई सवाल नहीं
बाग़-ए-आलम में रहे शादी-ओ-मातम की तरह
अगर छूटा भी उस से आइना-ख़ाना तो क्या होगा
अबरू तो दिखा दीजिए शमशीर से पहले
अब तो मुँह से बोल मुझ को देख दिन भर हो गया
अब मुझे गुलशन से क्या जब ज़ेर-ए-दाम आ ही गया
आह को समझे हो क्या दिल से अगर हो जाएगी