Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_61756871c83b495053a401cf297f5eb2, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
वो सितम-गर है ख़यालात समझने वाला - क़मर जलालाबादी कविता - Darsaal

वो सितम-गर है ख़यालात समझने वाला

वो सितम-गर है ख़यालात समझने वाला

मुझ से पहले मिरे जज़्बात समझने वाला

मैं ने रक्खा है हमेशा ही तबस्सुम लब पर

रो दिया क्यूँ मिरे हालात समझने वाला

जो न समझे तेरी मंज़िल वो यूँही चलता रहा

रुक गया तेरे मक़ामात समझने वाला

जो न समझे वो बनाते रहे लाखों बातें

हुआ ख़ामोश तिरी बात समझने वाला

राज़-ए-तक़्दीर पे क्या रौशनी डालेगा कोई

ख़ुद सवाली है सवालात समझने वाला

(583) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Qamar Jalalabadi. is written by Qamar Jalalabadi. Complete Poem in Hindi by Qamar Jalalabadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.