जीना है सब के साथ कि इंसान मैं भी हूँ
जीना है सब के साथ कि इंसान मैं भी हूँ
चेहरे बदल बदल के परेशान मैं भी हूँ
झोंका हवा का चुपके से कानों में कह गया
इक काँपते दिए का निगहबान मैं भी हूँ
इंकार अब तुझे भी है मेरी शनाख़्त से
लेकिन न भूल ये तिरी पहचान मैं भी हूँ
आँखों में मंज़रों को जब आबाद कर लिया
दिल ने किया ये तंज़ कि वीरान मैं भी हूँ
अपने सिवा किसी से नहीं दुश्मनी 'क़मर'
हर लम्हा ख़ुद से दस्त ओ गरेबान मैं भी हूँ
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