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ये कौन है जो सर-ए-रोज़गार आया है - क़मर अब्बास क़मर कविता - Darsaal

ये कौन है जो सर-ए-रोज़गार आया है

ये कौन है जो सर-ए-रोज़गार आया है

कहा कि इश्क़ का परवरदिगार आया है

वो एक ताइर-ए-बे-पर अज़ाब में जल कर

सब हिजरतों की मसाफ़त गुज़ार आया है

हमें न वस्ल के क़िस्से सुनाओ रहने दो

हमारे हक़ में फ़क़त इंतिज़ार आया है

जो आया शहर-ए-अदम से जहान-ए-हस्ती में

ये वाक़िआ' है कि बे-इख़्तियार आया है

ये क्या विसाल कि आख़िर मिरी मोहब्बत पर

ब-वक़्त-ए-मर्ग उसे ए'तिबार आया है

उसे ख़बर ही नहीं दिल रह-ए-मोहब्बत में

ग़म-ए-हयात का सदक़ा उतार आया है

क़तील-ए-शौक़-ए-नज़र हिजरतों का मारा 'क़मर'

तुम्हारे शहर से बस अश्क-बार आया है

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In Hindi By Famous Poet Qamar Abbas Qamar. is written by Qamar Abbas Qamar. Complete Poem in Hindi by Qamar Abbas Qamar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.