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शोरिश-ए-हर्फ़ है अयाग़ में कुछ - क़मर अब्बास क़मर कविता - Darsaal

शोरिश-ए-हर्फ़ है अयाग़ में कुछ

शोरिश-ए-हर्फ़ है अयाग़ में कुछ

लिख क़लम मंज़िल-ए-बलाग़ में कुछ

देखे जाता है वो क़दम के निशाँ

मिल गया है उसे सुराग़ में कुछ

आफ़्ताब और ये सियह-ख़ाना

तू ने देखा है दिल के दाग़ में कुछ

सारी दुनिया को मार दी ठोकर

आ गया था मिरे दिमाग़ में कुछ

ज़िक्र-ए-बाग़-ए-नईम है वल्लाह

लुत्फ़ आने लगा फ़राग़ में कुछ

बुझ रहा है उफ़ुक़ पे अब सूरज

आप रख दीजिए चराग़ में कुछ

ऐ 'क़मर' आँख से उतर दिल में

ज़ौ-फ़िशानी हो दिल के बाग़ में कुछ

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In Hindi By Famous Poet Qamar Abbas Qamar. is written by Qamar Abbas Qamar. Complete Poem in Hindi by Qamar Abbas Qamar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.