ज़िंदगी क्यूँ उदास है ऐ दोस्त
ज़िंदगी क्यूँ उदास है ऐ दोस्त
मौत क्या आस-पास है ऐ दोस्त
वो भी मस्लूब हो न जाए कहीं
वो बड़ा हक़-शनास है ऐ दोस्त
था जो 'ग़ालिब'-शिकन ज़माने में
वो 'यगाना' ही 'यास' है ऐ दोस्त
ये ज़माना भी क्या क़यामत है
हर तरफ़ इक हिरास है ऐ दोस्त
है जो हर दिल में इक ख़ुदी का सुरूर
ज़िंदगी की असास है ऐ दोस्त
दूर रह कर भी मुझ से दूर नहीं
वो सदा दिल के पास है ऐ दोस्त
हो ज़ियारत मुझे मदीने की
रब से ये इल्तिमास है ऐ दोस्त
(385) Peoples Rate This