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ब-रंग-ए-निकहत-ए-गुल है चमन में आशियाँ अपना - क़ैसर उमराव तोवी कविता - Darsaal

ब-रंग-ए-निकहत-ए-गुल है चमन में आशियाँ अपना

ब-रंग-ए-निकहत-ए-गुल है चमन में आशियाँ अपना

किसी के राज़दाँ हम हैं न कोई राज़-दाँ अपना

चले तो जा रहे हैं क्या बताएँ कल कहाँ होंगे

ख़ुदा मा'लूम किस मंज़िल पे ठहरे कारवाँ अपना

यही अच्छा हुआ महफ़िल में तेरी चुप रहे वर्ना

ग़म-ए-दिल की कहानी और फिर तर्ज़-ए-बयाँ अपना

सुपुर्द-ए-इश्क़ हम तो कर चुके सर्माया-ए-हस्ती

जो अहल-ए-होश हैं सोचा करें सूद-ओ-ज़ियाँ अपना

हुआ ही चाहती है शाम भी अब सुब्ह पीरी की

मगर अब तक तो है पहलू में 'क़ैसर' दिल जवाँ अपना

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In Hindi By Famous Poet Qaisar Umrao Tovi. is written by Qaisar Umrao Tovi. Complete Poem in Hindi by Qaisar Umrao Tovi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.